शनिवार, 29 अक्टूबर 2011


पिता 

पिता
एक वट-वृक्ष होता है 
जहाँ विहग 
बेखौफ अपना घोसला बना सकते हैं 
दिनों गायब रह सकते हैं घर से 
इस उम्मीद के साथ  
कि लौटने पर सब कुछ यथावत मिलेगा 
बरगद की आँखें चमक उठेंगी 
उसकी उम्मीदें हरिया जाएंगी 
शीतल छाया विहँस उठेगी
अवसान हो जाता है जब बरगद का 
दिशाहीन विहग 
नए घोसले की तलाश में निकल जाते हैं 
अब उनके मन में एक खौफ होता है 
एक अनिश्चितता होती है 
एक अर्थहीनता होती है 
पश्चाताप होता है  - 
समय रहते बरगद के लिए कुछ न कर पाने का
जीवन का अर्थहीन हो जाने का

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