बुधवार, 2 नवंबर 2011


टहल रहा है चाँदे

खुला आसमान
और नहाता चाँद
चाँदनी की बरसात में

बहुत दिनों बाद
देखा था चाँद को
बहुत दिनों बाद
आई थी याद किसी चाँदनी की

घर-दफ्तर की दौड़ में
हाँफ्ते समय को
कहाँ याद आता है
मालूम पड़ता है कब
उसके छत पर
टहल रहा है
एक चाँद धवल चाँदनी में

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