टहल रहा है चाँदे
खुला आसमान
और नहाता चाँद
चाँदनी की बरसात में
बहुत दिनों बाद
देखा था चाँद को
बहुत दिनों बाद
आई थी याद किसी चाँदनी की
घर-दफ्तर की दौड़ में
हाँफ्ते समय को
कहाँ याद आता है
मालूम पड़ता है कब
उसके छत पर
टहल रहा है
एक चाँद धवल चाँदनी में
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